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Hindi Sahitya Ke Navras aur Rafi Sahab ki Aawaz (in Hindi)

By Onika Setia

Mohd Rafi

Mohd Rafi

हिंदी    साहित्य   का   कला    के साथ   बहुत   गहरा रिश्ता  है  या यह कहो की दोनों एक   दुसरे के   पूरक हैं .कला   चाहे   जो भी हो ;नृत्य,गायन, अभिनय, लेखन . हिंदी   साहित्य   इनकी आत्मा बन कर   इसमें समाहित   है.  और   हिदी साहित्य    का मूल आधार  है नव रस .

अर्थात  प्रेम-(   संयोग /वियोग)  ,शांत ,रोद्र ,करुण,   भक्ति ,   वीभत्स ,   हास्य, वीर   ,  वात्सल्य   .  हर    कला    इन नवरसों के बीना अधूरी है .मनुष्य  अपनी   भाव अभिव्यक्ति  कला के माध्यम   से करता है  और कला   का स्थान मनुष्य के दिल में है ,आत्मा में   है ,और अपने भावो को व्यक्त करने हेतु उसे   कला का सहारा लेना पड़ता है ,कला   मनुष्य के जीवन    के   साथ साथ  चलती  है  मनुष्य का पूरा वजूद कला के बीना अधुरा  है ,और एक कला ही है   जो मनुष्य को मनुष्य बने रहने के प्रेरणा देती है.

कला बुरे से बुरे  ईन्सान के अंत;;स्थल को छु कर उसे  इंसान बना सकती है  .कला  मासूम होती है,   निष्कपट होती है  कला की   कोई   सीमा नहीं होती और न ही उसे कोई सीमा में बांध सकता है .  कला सर्व हितकारी होती है ,नाज़ुक होती  है,सह्रदय  होतीहै  और यही सारे  गुण होते है कला कार  में   भी .  कवि   का मन   और कलाकार का   मन एक सा होता  है इनको इश्वर ने  एक सा बनाया है  .

हमारे    रफ़ी   साहब   ने   एक कलाकर सा दिल  पाया था  वोह ईश्वर  और अल्लाह  के द्वारा   तैयार  की गयी  मिटटी से बने थे  और उनमें आत्मा  थी   फ़रिश्ते  की और दिल था   किसी कवि  जैसा ,कलाकार सा . इसीलिए वोह एक सम्पूर्ण  कलाकार थे .  अब हम यहाँ   यह ज़िक्र  करना चाहते है की रफ़ी साहब न गायन के माध्यम   से अप्रत्यक्ष   रूप से हिन्दीसाहित्य  की   आत्मा  (नवरसों)   को    कैसे   अपनी मधुर  ,सुरीली ,जादूभरी ,विविधता पूर्ण आवाज़   से अमरता   प्रदान  की :-

  प्रेम रस ;–     रफ़ी    साहब   ने   प्रेम    पर   अनगिनित   गीत गाये   यहाँ मगर मिसाल   के तौर   पर   कुछ  गीत ही पेश किये जायेंगे . जैसे  —-
चोदवीं  का चाँद  हो  या आफताब हो,
जो भी तुम खुदा की क़सम लाजवाब हो .
प्रेम रस  में भी दो प्रकार के  रस   होते हैं संयोग और वियोग
संयोग —     मैंने   पूछा   चाँद   से की देखा  है  कही मेरे यार सा हसीं ,
चाँद ने कहा  हर कलि की क़सम नहीं !नहीं!   नहीं! .
वियोग —
दोनों    ने किया   था प्यार मगर  मुझे याद रहा तू भूल गयी ,
मैंने   तेरे लिए रे जग छोड़ा तू  मुझको छोड़ चली .

 शांतरस    :-    रफ़ी  साहब    इस गीत  को   एक दम शांत व  सहज भाव से   गत हैं .

मन रे तू कहे न धीर धरे  ,वोह निर्मोही मोह न जाने   जिका मोह करे.

करुण रस  :-      करुण    का अर्थ   है जिसमें करुणा   ,दर्द    का भाव निहित हो   जैसे  -;-

  नफरत   की दुनिया को छोड़ के प्यार की दुनिया में  ,
खुश रहना मेरे यार   .
या बेटी   की विदाई   के दर्द को बयाँ करता यह गीत  -;
बाबुल की दुयाएँ   लेती जा  ,जा तुझको सुखी   संसार मिले
मैके   की कभी ना याद आये ,ससुराल में इतना प्यार मिले.

 भक्ति रस ;-       भक्ति   अर्थात   इश्वर से प्रेम व अनुराग ,श्रधा   से   भरकर   याचना  -०:

मन    तडपत   हर दर्शन  को आज
           या
  ओ  दुनिया   के रख वाले   सुन दर्द भरे मेरे नाले
            या फिर
  परवर दिगार-ए-आलम   ,त्तेरा  ही है सहारा  ,
तेरे   सिवा जहाँ में कोई नहीं हमारा.
    हास्य रस  :-         हास्य    का मतलब  जिसमें हास्य  का पुट शामिल हो ,जैसे कोई  मजाक   भरा गीत  ;-

    सर जो तेरा   चकराए  या दिल डूबा जाये ,
   आजा प्यारे पास हमारे ,काहे घबराये ,घबराये .
                 या
     जंगल    में मोर नाचा  ,किसीने  न देखा
 वीर रस -;      वीर  रस में में हम रफ़ी   साहब के साहस से भरपूर देशभक्ति   गीत शामिल कर सकते है ;-

वतन की राह   में वतन   के नौजवान   शहीद हो .
           या
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़  मिटा सकते नहीं ,
सा कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं .
  रोद्र रस -;      रोद्र  का मतलब है क्रोध या गुस्सा . अब   आप सोचते   होंगे रफ़ी साहब जैसे शांत और सरल मन के इंसान  के लिए क्या यह मुमकिन है क्यों नहीं  !    रफ़ी साहब  के स्वर में जहाँ इतने रस  समाहित होसकते  हैं तो क्रोध क्यों नहीं .,,मिसाल के तौर  पर देखिये;;-

राज़ की बात कह्डून तो जाने महफ़िल   फिर क्या हो (   आशा  के द्वारा )

राज़    खुलने   का पहले ज़रा अंजाम सोच लो ,इशारो को अगर समझो  राज़ को राज़ रहने दो
इस गीत में   रफ़ी साहब के गुस्से    का   एक नमूना   दिखता है .
वीभत्स रस :-      इसका मतलब है नफरत  .  इसे घृणा   भी   कहते है   इस गीत   में  रफ़ी साहब ने   अपनी    नफरत भी खुल के ज़ाहिर की है  –;
मेरे दुश्मन   तू मेरी दोस्ती   को तरसे  ,
मुझे गम देने वाले  ,तू ख़ुशी को तरसे .
इस गीत में   रफ़ी साहब ने एक   बेवफा   को   जी भरके लताड़ा ,खूब बद-दुयाएँ  दीं.

 वात्सल्य  रस ;-   इस रस   में शामिल होती   है   ममता  . जो माता  -पिता की   अपनी   संतान के प्रति   होती है  इस गीत में भी रफ़ी साहब ने अपने दिल की सारी ममता  उढ़ेल  दी है -;
आया   रे खिलोन   वाला  खेल-खिलोने   लेके आया रे  आया रे
आयो मेरी   आँख के तारो !कहाँ गए  हो मेरे प्यारो .
या
बच्चों    के लिए गाये   गए   अनेकों बालगीतों   में से एक  –;
चुन चुन करती   आई चिड़िया ,दाल  का दाना लायी   चिड़िया..
या फिर
सुन लो सुनाता हूँ तुमको कहानी,
रूठू न हमसे  ओ गुड़ियों की रानी  ,रे मामा ,रे मामा  रे

इस प्रकार    यह सपष्ट हो जाता है   की रफ़ी साहब ने   गायन  कला  में समाहित इन नवरसों के साथ पूरा इन्साफ किया  है यह नव रस जैसे उनके वजूद का ही एक एहम हिस्सा थे  इसीलिए वोह एक  सम्पूर्ण    और सर्वगुण संम्पन   कलाकार  और इंसान  के रूप में  पहचाने जाते हैं  और सदा पहचाने जाते रहेंगे .  शयेद ही कोई और कलाकार   या उनके समकालीन   कलाकार  उनकी  महानता  को छु  सकने की क्षमता   रखता  हो . कोई नहीं .   रफ़ी साहब हमेशां   महान    कलाकार   और इंसान   के रूप में   र्रेहती दुनिया तक अमर रहेंगे.

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13 Blog Comments to “Hindi Sahitya Ke Navras aur Rafi Sahab ki Aawaz (in Hindi)”

  1. vrinda says:

    how can we get whole poems?

  2. rajneesh raina says:

    So Good..a lot of effort has been made to write this..thanks a lot

  3. Onika Setia says:

    dear rafi fans,
    hum 15-16 july ko amritsar gaye the aur humne rafi sahab ka gauv kotla.sultan singh bh gaye .wahan ki kuch tasveerin humne goggal+ mein dali hain aap Onika.Setia@gmail.com mein jaker dekh satke hain .

  4. sanjeev Dixit says:

    Onika Setia ji,
    Thanks a lot for such a very nice article on Rafi Sahab with a lot of songs on different moods. Every mood is explain very well.

    I want ti share that RAFI SAHAB has expressed 517 moods/expressions through his thousands of song. It was only possible with the golden voice of rafi sahab.

    “JAI RAFI SAHAB, JAI BHARAT, JAI HIND”

  5. Onika Setia says:

    thanks all of you.

  6. J.K. Bhagchandani says:

    Dear Onika Setia ji,

    Hats off to you for your devotion to Rafi saab.

    I wished you could have included more examples in each ‘ras’. But a great attempt nonetheless. Please accept my compliments.

    -J.K. Bhagchandani

  7. jasbir singh says:

    what a wonderful article by onikajee..assal mein rafisaab ki awaaz zindagi ke sab pehlun ko bahut khoobsoorti se biyan karti hai….aour koyee awaaz nahi hai.aur na hogi….sab ke rafissab jaisa kjoyee nahi…

  8. pradeep k khanchandani says:

    onjkaji,
    a superb article,
    NAVRAS which can be realised by poetic souls.we have got by this writeup.
    Also shows your heart filled up with ‘RAFIRAS’ from the bottom.

  9. Onika Setia says:

    priye rajesh ji ,
    mane yeh article koi jaldi mein nahin likha ,kafi samay se iske bare mein soch soch kar yeh prastuti tyyar ki hai. rahi baat gano ke selection ki to rafi sahab ke 36,000 se adhik geet yahan pesh karna aasan nahin tha .so yeh to bus ek motiyon ki mala thi jise 10 insani bhavon ke sutr mein piroi gayi. rafi sahab ke anekon geet in 10 ruson ke adhar par bante ja sakte hai yeh article to ek udaharan hai. phir bhi guide karne ka shukriya.

  10. article appears to have been written in hurry, very few songs selected – there are many many rafi songs in all ‘rus’.. more research and efforts were required..

  11. ???? ???? ?? ???? ??.. ??????? ???? ????? ??? ???? ??? ??? ????? ?? , ?? ???? ?????? ?? ???????? ??..

  12. Zaheendanish says:

    Onika Setia Ji,

    You have written a very beautiful article straight from the heart. Each letter of this write up is dipped in the purity of love for Rafi Saab. I like it and read many times. Keep the good work and write more such nice write ups.

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